Getting things done part 3

 Getting Projects Creatively Under Way: The Five Phases of Project Planning 


कभी-कभी जब हम अपने "टू-डू-लिस्ट" को अपडेट नहीं करते, तो कई ऐसे आईडिया मिस कर देते हैं जो हमें बड़ी सक्सेस दिला सकते थे. इस प्रॉब्लम से बचने के लिए, हमें आगे का प्लान बनाने की ज़रुरत है.

प्लानिंग भी कई तरह की होती है. जहां आप हर टास्क के गोल और उस गोल को हासिल करने के लिए ज़रूरी स्टेप और एक्शन को क्लियर तरीके से सेट करते हैं, वहाँ आप हॉरिजॉन्टल (Horizontal) प्लानिंग को यूज़ कर सकते हैं. आमतौर पर इस तरह की प्लानिंग के लिए आपको ऐसे रिमाइंडर सेट करने होंगे जिन्हें आप आसानी से देख सकें ताकि आप उस टास्क को भूल ना जाएं और उसकी प्रोग्रेस को मॉनिटर कर सकें.

दूसरी तरह की प्लानिंग है वर्टीकल (Vertical) प्लानिंग. इसमें डिटेल पर फोकस करने की और हर स्टेप को पूरा करने के लिए solution ढूंढने की जरुरत होती है. इसका मतलब ये नहीं है कि इसके लिए आपको किसी स्पेशल सॉफ्टवेयर को यूज़ करना होगा. आप इसे पेपर पर लिख कर भी रिकॉर्ड बना सकते हैं.

हालांकि, प्लानिंग का सबसे इफेक्टिव तरीका होता है नेचुरल प्लानिंग. आपका ब्रेन इस दुनिया का सबसे बेहतरीन planner है. आपका ब्रेन ऐसी -ऐसी चीजें कर सकता है जिसकी बराबरी दुनिया का कोई सॉफ्टवेयर या नोटबुक नहीं कर सकता.

नेचुरल प्लानिंग में पांच स्टेप होते हैं. सबसे पहले, आपको अपने गोल को अचीव करने के लिए एक प्लान बनाना होगा. दूसरा, आपको ठीक से पता होना चाहिए कि अंत में उसका रिजल्ट क्या हो सकता है. तीसरा, आपको बहुत दिमाग और क्रिएटिविटी लगाकर अलग-अलग आईडिया के बारे में सोचना होगा. चौथा, आपको अपने आईडिया को organize करना होगा. अंत में, आपको ये पहचानना होगा कि अगला एक्शन क्या होना चाहिए.

एग्ज़ाम्पल के लिए आइए आपका डिनर प्लान करते हैं. जब आप रोज़मर्रा के काम की प्लानिंग करते हैं, तो आप automatically नेचुरल प्लानिंग यूज़ करते हैं. पहले आप ये देखते हैं कि इस डिनर का मकसद क्या है यानी क्या आप दोस्तों के साथ बाहर पार्टी करने जा रहे हैं? या ये कोई स्पेशल डेट या बिज़नेस डिनर है? पर्पस के हिसाब से आपका ब्रेन उस डिनर के लिए हदें सेट करना शुरू कर देता है जैसे कितने पैसे खर्च करने हैं, कौन सा खाना सर्व होना चाहिए, आपके कपड़े कैसे होने चाहिए वगैरह वगैरह.

दूसरा, जब आपका पर्पस क्लियर हो जाता है तो आप उसके रिजल्ट के बारे में सोचने लगते हैं जैसे कौन सा कैफ़े या फूड जॉइंट में जाना चाहिए, खाना किस तरह का होना चाहिए. आपके माइंड में उस जगह की इमेज बनने लगती है जहां आप जाने वाले हैं. आप ख़ुद को खिड़की के पास बैठा हुआ देखते हैं. यहाँ तक कि आप खाने की खुशबू और उसके taste के बारे में भी सोचने लगते हैं.

तीसरे स्टेप में आपके ब्रेन में अपने आप कई तरह के थॉट आने लगते हैं. आप उस टाइम के बारे में सोचने लगते हैं जब आपको वहाँ पहुंचना चाहिए. आपके मन में कई सवाल भी आते हैं जैसे क्या वो जगह खुली होगी? मुझे किस तरह के कपड़े पहनने चाहिए? क्या मुझे टाइम पर कैब मिल जाएगी?

इस स्टेप के पूरा होने के बाद आप सब कुछ organize करना शुरू करते हैं. आप डिसाइड करते हैं कि ठीक आठ बजे आपको घर से निकलना है. अपने सिलेक्ट किए हुए रेस्टोरेंट में समय से पहुंचकर अपनी बुक की हुई टेबल पर बैठना है. फ़िर आप सोचते हैं कि आप अपनी पसंदीदा ब्लैक ड्रेस पहने रेस्टोरेंट की टेबल पर बैठे होंगे. यानी कि आपके माइंड में उस डिनर से रिलेटेड एक पूरी फिल्म चलने लगती है.

अब सब प्लानिंग ख़त्म कर आप पहला एक्शन लेते हैं जो है अपने दोस्त को फ़ोन करना और फ़िर रेस्टोरेंट को कॉल कर अपनी सीट बुक करना.क्या आपने कभी सोचा था कि आपका ब्रेन पूरे दिन इस तरह की प्लानिंग में लगा रहता है? तो क्यों ना अपने काम को पूरा करने के लिए इस तरह की नेचुरल प्लानिंग को यूज़ किया जाए. ये किसी भी फ्लोचार्ट या सॉफ्टवेयर को यूज़ करने से कम स्ट्रेसफुल होता है.

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