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मन को बदले, स्थितियां अपने आप बदल जायेंगी |



एक बार एक सैनिक अधिकारी की नियुक्ति रेगिस्तानी इलाके में हो गयी। उसकी पत्नी को भी वहीँ रहने जाना पडा। लेकिन, उसे धूल बिलकुल भी पसंद नहीं थी। उसका पति तो रोज ट्रेनिंग के लिए चला जाता और उसे छोटे-से घर में अकेला रहना पड़ता। वहाँ तापमान ज्यादा रहता और गर्म हवाएं भी चलती।

शहरी माहौल में पली बड़ी इस महिला को वहाँ के स्थानीय निवासियों का साथ भी पसंद नहीं था। वह उन्हें पिछड़ा हुआ और गंवार समझती। एक दिन दुखी होकर उसने अपने माता-पिता को पत्र लिखा कि वह और बर्दास्त नहीं कर सकती। सब कुछ छोड़ कर मायके आना चाहती है। यहाँ रहने से तो जेल में रहना आना अच्छा है। जवाब में उसके जेलर पिता ने उसे दो पंक्तियाँ लिख भेजी- 'दो कैदियों ने एक साथ जेल के बहार देखा। पर, एक ने आसमान में तारे देखे, और दुसरे ने जमीन में कीचड देखा'।

यह महिला सोच में पड़ गई। उसे लगा पिता ने ठीक लिखा है। ये दुनिया इतनी बुरी भी नहीं है। उसने स्थानीय लोगों के साथ मेल-जोल बढाना शुरू कर दिया। वे लोग उसे अपनी कला के उत्कर्ष्ठ व प्रिय नमूने भेंट में देने लगे। अब वह रेगिस्तान में उगते और डूबते सूरज का बडे मनोयोग से नजारा लेती। वही रेगिस्तान था और वहाँ रहने वाले लोग भी वही थे। कुछ भी नहीं बदला था। दरअसल, उसका मन बदल गया था। उसने स्वनिर्मित जेल से बहार निकल कर तारों को निहारा और अपनी दुनिया रोशन कर ली। जो चीजें उसे कस्टकारी लगा करती थीं, उन्हें उसने अत्यंत रोचक और रोमांचकारी अनुभवों में बदल लिया और सुख से रहने लगी।

मोटापे से निपटने के लिए झूलन-ढुलकन आसन.







झूलन-ढुलन आसन! आपने इस आसन का नाम कम ही सुना होगा। हालांकि बालपन में आपने यह आसन जरूर किया होगा। शरीर का आधार रीढ़ होता है। रीढ़ को मजबूत बनाने के लिए यह आसन बहुत अच्छा है। झूलन-लुढ़कन आसन को करने से रीढ़ की हड्डी और जोड़ पहले से ज्यादा लचकदार और मजबूत होते हैं।


झूलना-लुढ़कना आसन की विधि:-

(अ)
* सबसे पहले पीठ के बल सीधा लेट जाएं।
* अब दोनों पैरों को मोड़ते हुए वक्ष तक लाएं
* दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसाकर घुटनों के पास पैरों को कसकर पकड़ें।
-यह प्रारंभिक स्थिति है।

(ब)
* अब शरीर को क्रमश: दाहिनी और बाईं ओर लुढ़काते हुए पैर के बगल के हिस्से को जमीन से स्पर्श कराएं।
* 5 से 10 बार यह अभ्यास करें।
* पूरे अभ्यास के समय श्वास-प्रश्वास को सामान्य रखें।

(स)
* नितम्बों को जमीन से थोड़ा ऊपर रखते हुए उकडूं बैठें।
* दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसाकर घुटनों के ठीक नीचे पैरों को कसकर पकड़ें।
* संपूर्ण शरीर को मेरूदंड पर आगे‌-पीछे लुढ़काएं।
* अब आगे की ओर लुढ़कते समय पांवों पर बैठने की स्थिति में आने का प्रयत्न करें।
* 5 से 10 बार आगे-पीछे लुढ़कें।

फिर से (पुनश्च:) : इस आसन को करने के लिए लेट जाएं। दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ लें। अब घुटनों को छाती की ओर ले जाएं और अपने हाथों से पैरों को घुटनों के पास से पकड़ लें। फिर श्वास भरें और आगे की ओर झूलते हुए श्वास छोड़ें। अब पीछे की ओर लुढ़कते हुए श्वास भरें। इस आसन को करने के दौरान सिर को बचाकर रखें। इस आसन को करते समय कोशिश करें कि आगे की ओर झूलते हुए आप पैरों के बल बैठ जाएं। इस प्रक्रिया को करने से पीठ के बल आगे-पीछे लुढ़कते-झूलते हुए रीढ़ के सभी जोड़ों का व्यायाम हो जाता।

सावधानी : इस आसन को करते समय रीढ़ को ज्यादा सुरक्षा देने के लिए मोटा कंबल बिछाएं। जिन लोगों को पहले से कमर या पीठ में दर्द की शिकायत हो उन्हें इस आसन से परहेज करना चाहिए।

आसन का लाभ :- यह आसन नियमित करने से पीठ, नितम्ब और कटि-प्रदेश की मालिश करता है और पीठ, कमर, नितंब की चर्बी को कम करता है।

आप संपर्क कर सकते हैं हमारे पते पर:

Name: Nishant Sharma

E-mail: nishantamrah@gmail.com

Mobile No.: 0753216566

Fb : https://www.facebook.com/nishantgraph


अगर आपका कोई सवाल है तो आप बेजिझक हो कर पूंछ सकते हैं।


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स्वस्थ रहने की 10 अच्छी आदतें. 10 tips for stay Healthy.


कोई भी एक व्यायाम रोज जरूर करें। इसके लिए रोजाना कम से कम आधा घंटा दें और व्यायाम के तरीके बदलते रहें, जैसे कभी एयरोबिक्स करें तो कभी सिर्फ तेज चलें। अगर किसी भी चीज के लिए वक्त नहीं निकाल पा रहे तो दफ्तर या घर की सीढ़ियां चढ़ने और तेज चलने का लक्ष्य रखें। कोशिश करें कि दफ्तर में भी आपको बहुत देर तक एक ही पोजीशन में न बैठा रहना पड़े।  




अच्छी तरह साबुन से धोएं। कहीं भी बाहर से घर आने के बाद, किसी बाहरी वस्तु को हाथ लगाने के बाद, खाना बनाने से पहले, खाने से पहले, खाने के बाद और बाथरूम का उपयोग करने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। यदि आपके घर में कोई छोटा बच्चा है तब तो यह और भी जरूरी हो जाता है। उसे हाथ लगाने से पहले अपने हाथ अच्छे से जरूर धोएं।




 



बहुत ज्यादा तेल, मसालों से बने, बैक्ड तथा गरिष्ठ भोजन का उपयोग न करें। खाने को सही तापमान पर पकाएं और ज्यादा पकाकर सब्जियों आदि के पौष्टिक तत्व नष्ट न करें। साथ ही ओवन का प्रयोग करते समय तापमान का खास ध्यान रखें। भोज्य पदार्थों को हमेशा ढंककर रखें और ताजा भोजन खाएं। 
 


45 की उम्र के बाद अपना रूटीन चेकअप करवाते रहें और यदि डॉक्टर आपको कोई औषधि देता है तो उसे नियमित लें। प्रकृति के करीब रहने का समय जरूर निकालें। बच्चों के साथ खेलें, अपने पालतू जानवर के साथ दौड़ें और परिवार के साथ हल्के-फुल्के मनोरंजन का भी समय निकालें।    

 



मेडिटेशन, योगा या ध्यान का प्रयोग एकाग्रता बढ़ाने तथा तनाव से दूर रहने के लिए करें।  


अपने विश्राम करने या सोने के कमरे को साफ-सुथरा, हवादार और खुला-खुला रखें। चादरें, तकियों के गिलाफ तथा पर्दों को बदलती रहें तथा मैट्रेस या गद्दों को भी समय-समय पर धूप दिखाकर झटकारें।
 


खाना पकाने के लिए अनसैचुरेटेड वेजिटेबल ऑइल (जैसे सोयाबीन, सनफ्लॉवर, मक्का या ऑलिव ऑइल) के प्रयोग को प्राथमिकता दें। खाने में शकर तथा नमक दोनों की मात्रा का प्रयोग कम से कम करें। जंकफूड, सॉफ्ट ड्रिंक तथा 



आर्टिफिशियल शकर से बने ज्यूस आदि का उपयोग न करें। कोशिश करें कि रात का खाना आठ बजे तक हो और यह भोजन हल्का-फुल्का हो।
 


खाने में सलाद, दही, दूध, दलिया, हरी सब्जियों, साबुत दाल-अनाज आदि का प्रयोग अवश्य करें। कोशिश करें कि आपकी प्लेट में 'वैरायटी ऑफ फूड' शामिल हो। खाना पकाने तथा पीने के लिए साफ पानी का उपयोग करें। सब्जियों तथा फलों को अच्छी तरह धोकर प्रयोग में लाएं।
 



बहुत ज्यादा तेल, मसालों से बने, बैक्ड तथा गरिष्ठ भोजन का उपयोग न करें। खाने को सही तापमान पर पकाएं और ज्यादा पकाकर सब्जियों आदि के पौष्टिक तत्व नष्ट न करें। साथ ही ओवन का प्रयोग करते समय तापमान का खास ध्यान रखें। भोज्य पदार्थों को हमेशा ढंककर रखें और ताजा भोजन खाएं।
 


घर में सफाई पर खास ध्यान दें, विशेषकर रसोई तथा शौचालयों पर। पानी को कहीं भी इकट्ठा न होने दें। सिंक, वॉश बेसिन आदि जैसी जगहों पर नियमित रूप से सफाई करें तथा फिनाइल, फ्लोर क्लीनर आदि का उपयोग करती रहें। खाने की किसी भी वस्तु को खुला न छोड़ें। कच्चे और पके हुए खाने को अलग-अलग रखें। खाना पकाने तथा खाने के लिए उपयोग में आने वाले बर्तनों, फ्रिज, ओवन आदि को भी साफ रखें। कभी भी गीले बर्तनों को रैक में नहीं रखें, न ही बिना सूखे डिब्बों आदि के ढक्कन लगाकर रखें।   






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